महाराष्ट्र के महानाटक में शनिवार सुबह उस समय मोड़ आया था, जब शनिवार सुबह अचानक देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। मंगलवार को ठीक साढ़े तीन दिन के कार्यकाल के बाद बदले राजनीतिक घटनाक्रम के कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। साढ़े तीन दिन के कार्यकाल में अजित पवार ने शपथ तो ली, लेकिन अपने पद का भार ग्रहण नहीं कर पाए।
अजित पवार के पाला बदल से जितना झटका शिवसेना को लगा था, उससे कहीं ज्यादा ठेस शरद पवार को लगी थी। अपने भतीजे के पाला बदल लेने से परेशान शरद पवार ने उनकी घर वापसी के साथ अपने विधायकों की घेराबंदी शुरू कर दी थी। अजित को पहले लग रहा था कि चाचा शरद पवार को छोड़कर राकांपा के विधायक उनके पास आ जाएंगे। लेकिन, शरद पवार के पावर के आगे अजित की एक नहीं चली। सारे विधायक शरद पवार के पक्ष में लामबंद हो गए और अजित को आखिरकार बगावत का रास्ता छोड़कर वापस चाचा शरद पवार के पास लौटना पड़ा।
यह पहली बार नहीं था जब अजित पवार राज्य के डिप्टी सीएम बने हों। 2010 में में जब पृथ्वीराज चव्हाण मुख्मंत्री थे तब कांग्रेस के सहयोगी दल राकांपा के नेता अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया था। सिंचाई घोटाले में नाम आने पर 25 सितंबर 2012 को अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। अजित के इस्तीफे के बाद राकांपा के सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।
अजित के साथ राकांपा के अन्य मंत्रियों के इस्तीफे से कांग्रेस के नेतृत्व वाली पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार खतरे में दिखने लगी। बाद में डैमेज कंट्रोल करते हुए इस्तीफे के ठीक एक महीने के बाद 25 अक्टूबर को अजित पवार फिर डिप्टी सीएम बने और 26 सितंबर 2014 तक इस पद पर रहे।